शहीदों की याद " करगिल दिवस पर "
करगिल दिवस पर -शहीदों की याद
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भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।
थर थर कांपी मेरी छाती जब योद्धा आंगन उतरा था ।।
इस भीषण युद्ध विभीषिका में हमने भी लाल गवाए हैं ,
कुछ ऐसे वीर बाँकुरे थे जो कांधे पर घर आये हैं ,
आँगन में अर्थी रखी देख दो शब्द गगन में डोल रहे ,
बिटिया तुतला कर पूंछ रही मेले पापा क्यों नां बोल लहे ,
बच्ची की करुण पुकारों से टूटा नभ से इक तारा था ।
भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।1
माँ अपनी छाती पीट पीट सर मार रही थी धरती पर ,
पत्नी भी होश गवा बैठी गिर पड़ी कंत की अर्थी पर ,
बापू धीरे से सुबक रहे अब राजू मेरा रूठ गया ,
भाई फफक फफक रोता अब बाजू मेरा टूट गया ,
नदी भाँती बिलख रही विधवा का छूटा एक किनारा था।
भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।2
चूड़ी टूटी बिछुए उतरे सिंदूर भाल का पिघल गया ,
पायल टूटी कंगने उतरे गल मंगल बंधन निकल गया ,
कोने में बहना बिलख रही रक्षा का बंधन टूट गया ,
चाची तायी बूआ रोयीं क्यों कुल का नंदन रुठ गया ,
रोये बचपन के सब साथी क्या यार हमारा प्यारा था ।
भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।3
अंबर में बदरी घिर आयी शायद वर्षा थी आने को ,
व्याकुल दिखती मुझको वो भी आँखों से नीर बहाने को ,
मेघों में दामिनी चमक चमक यूँ तड़ित चाप दर्षाती थी ,
मानो योद्धा बलिदानों पर वो दमक दमक हर्षाती थी ,
बूढ़ी दादी रो रो कहती मेरा तो वही सहारा था ।
भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।4
आदेश मांगती थी सेना आगे बढ़ने को घाटी में ,
हम अवसर पुनः गवां बैठे समझौतों की परिपाटी में ,
ये कैसी जीत हुई " अमर " शोणित सस्ते में बहा दिया ,
पीओके हासिल करने का फिर मौका हमने गवां दिया ,
यदि अटल फैसला ले ले लेते पूरा कश्मीर हमारा था ।
भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।5
Vatshalya0766
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