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नैतिक शिक्षा व रिश्तों की अहमियत

आज समाज में इतनी तेजी से बदलाव हो रहा हैं जिसको शब्दो में बयां करना बहुत ही मुश्किल हैं l अपने प्रथम पीढ़ी को उनके एहसास व नैतिक जिम्मेदारी तथा साथ ही नाते रिश्ते की कोई अहमियत नहीं है जिसके कारण इनके समक्ष ऐसी बातें मात्र एक ढकोसला के अलावा कुछ नहीं हैं ये समझाने पर नहीं समझना चाहते, यही वजह हैं की इन रिस्तो की अहमियत ना के बराबर होता जा रहा हैं l ना ये किसी रिश्ते को मानते हैं और नाही इन्हे इसका एहसास दिलाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं, इन्हे जिस रूप में इनकी पढ़ाई लिखाई, इनका खाना - पीना, इनका रहन - सहन के लिए उचित ब्यवस्था,अगर माँ बाप कर लेते हैं तो ठीक हैं अन्यथा इन्हे ना तो रिश्ते कैसे बनाते हैं के बारे में पता हैं और ना ही इसे निभा पाएंगे, पैदा किये हैं तो इन्हे ढोना पड़ेगा l जिस - दिन आप अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश करेंगे, ये थप्पड़ मारने और गली गलौज पर उतारू हो जाते हैं l आप क्या इनको घर से निकालेंगे????उससे पहले ये आप को घर से भगा देंगे l ऐसे किस्से रोज समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर देखने और पढ़ने को मील जाता हैं l मेरे समझ से विशेष रूप से लड़कों को अपने सामर्थ्य ...

नैतिकता का अभाव और एकल जिम्मेदारी

वैदिक शास्त्रों में कई जगहों पर ये बताया गया है की पिता और पुत्र के कैसे सम्बन्ध होने चाहिए l ऐसा कोई वेद नहीं है जिसमे ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्वद या वो सामवेद ही क्यों ना हो सभी वेदों में लिखा गया है, लेकिन कलयुग के आने के बाद ये अलग अलग ढंग से परिभाषित किया जाने लगा l आज कल की पीढ़ी तो इन बातो को मानना तो दूर इन्हे पढ़कर ज्ञान लेना भी उचित नहीं समझती l संतान की उत्पत्ति करना अपने वंश को चलाना नहीं अपितु ये कहकर टाल दिया जाता है की मैं पूर्णरूपेण समर्थ होने पर ही ये जिम्मेदारी उठा पाउँगा l ऐसी सोच हमें कहाँ लेकर जा रही है, माँ तो अपने उदर में 09 माह रखने के बाद बच्चे को जन्म देती है लेकिन पिता तो जीवनभर उन्हें खिलाने - पिलाने, पढ़ाई-लिखाई और एक अच्छा नागरिक बनाने में अपनी जिंदगी खपा देता है इसके वावजूद भी उसे सुनने को मिलता है की आप ने किया ही क्या है? आप ने अपनी जिम्मेदारी निभाया ये तो सभी माँ बाप करतें है l नयी पीढ़ी इसी को प्रैक्टिकल होना कहते है 😄😄 आप ने सही लालन पालन नहीं किया नहीं तो आज मैं कुछ और होते l  कलयुग या वर्तमान में ऐसा सोचना नयी पीढ़ी का एक संस्कार सा हो गया है l ऐसे म...