फ्यूज बल्ब

मेरे हाउसिंग सोसायटी में एक बड़े अफसर रिटायरमेंट के बाद सपरिवार रहने के लिए आए, जो अभी अभी पिछले माह ही सेवानिवृत्त  हुए है ।
ये बड़े वाले रिटायर्ड अफसर, हैरान परेशान से रोज शाम को सोसायटी के पार्क में टहलते हुए अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते, और किसी से भी बात नहीं करते थे।
एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास शाम को गुफ़्तगू के लिये बैठे और फिर लगातार बैठने लगे।
उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था। मैं इतना बड़ा अफ़सर था कि पूछो मत, यहाँ तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ इत्यादि इत्यादि...।
और वहां उपस्थित बुजुर्ग बड़े शांति पूर्वक उनकी बातें सुना करते थे।
एक दिन जब 'सेवानिवृत्त' अफसर की आँखों में कुछ प्रश्न कुछ जिज्ञासा दिखी, तो बुजुर्ग ने ज्ञान दे ही डाला।
उन्होंने समझाया  " रिटायरमेंन्ट "के बाद हम सब एक फ्यूज़ बल्ब जैसे हैं। कौन कितने वाट का था,उससे कितनी रोशनी होती थी और कितनी जगमगाहट होती थी ! फ्यूज़ होने के बाद कोई मायने नहीं रखता।
फिर वो बोले कि वह सोसाइटी में पिछले 5 वर्ष से रहते हैं और उन्होंने आज तक किसी को यह नहीं बताया कि वह दो बार सांसद सदस्य रह चुके है,वे जो वर्मा जी है वो रेलवे के महाप्रबंधक थे, सिंह साहब सेना में ब्रिगेडियर थे और वो मिश्रा साहेब पंजाब पुलिस में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस DGP पद से तथा ये जो लालवानी जी इसरो में चीफ थे । ये बात भी इन सबने किसी को नही बताई है पर मैं जानता हूँ ।
*लगभग सारे फ्यूज़ बल्ब करीब करीब एक जैसे ही हो जाते हैं चाहे जीरो वाट का हो,60 वाट का हो, 100 वाट या फ्लड लाइट ही क्यों ना हो । अब कोई रोशनी नही, कोई उपयोगिता नही । यह बात आप जिस दिन समझ लेंगे,  शांति पूर्ण तरीके से समाज में रह सकेंगे। आज इस कलयुग में लोग "उगते सूर्य को जल चढ़ा कर पूजा करते हैं, डूबते सूरज की नहीं।"
यह बात जितनी जल्दी आप को समझ में आ जाएगी, उतनी जल्दी जिन्दगी आसान हो जाएगी l

 🙏Balliati07666🙏

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