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बरगद का बृक्ष

  ये मेरे जीवन का अर्धसत्य प्रसंग है,उस दिन बड़े गुस्से से  मैं घर से चला आया,इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया l मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा l जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है l आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था, जिसे वो किसी को हाथ तक न लगाने देते थे l मुझे पता है इस पर्स में जरुर पैसों के हिसाब की डायरी होगी??? पता तो चले कितना माल छुपाया है,माँ को भी हाथ नहीं लगाने देते जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है lमैंने जूता निकाल कर देखा,मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था lजूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था और मुझे  घर छोड़कर जाना ही था l कुछ दूर चला,मुझे पांवो में गिला गिला सा लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था,पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा हुआ  था lजैसे तैसे लंगड़ा कर  बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी l मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये पर्स खोला, एक पर्ची द...

अंतरजातीय बिबाह का दुष्परिणाम और निदान

सभ्यता धरोहर में नहीं मिलती  आश्चर्य कि बात है हम सब ऐसा ही कहेँगे, आज कल कि नयी पीढ़ी भौतिक सुख को ही उत्तम समझती है चाहे इसके लिए कोई भी  समझौता ही क्यों ना करना पड़े l परम्पराओं  का निर्वहन करना हम सभी मानव जाति का परम कर्त्तव्य है नहीं तो मानव और जानवरों में भेद करना कहाँ संभव है, इस सच्चाई को झूठलाना आसान नहीं होगा l रामायण, महाभारत व पुराणों में लिखित सभ्यता, परंपरा, संस्कृति व रितिरिवाजों को हम ताक पर रख कर सब मनमानी करते l ये हमारी आस्था के प्रतिक है जिसका निर्वाह हम करते आ रहे है l बंश, कुल, गोत्र आदि का वर्णन बखूबी इन ग्रंथो में किया गया है, हमारे पूर्वज इन्हे सत प्रतिशत पालन करते थे जिसके कारण हमारी नीव काफी मजबूत है l आज हममें से कुछ एक लोग इस नये युग में एडवांस बनने के लिए इन बातो को दरकिनार कर रहे है साथ नयी पीढ़ी तो इन चीजों को समझने के लिए तैयार नहीं उनका वाद विवाद के बाद यही कहना होता है कि ये सब वकवास है ऐसा कुछ नहीं होता रिश्ते तो ऊपर वाला बनाता है जिसे झूठलाते हुए दिन प्रतिदिन ये अंतरजातीय बिबाह कि ओर हम तेजी से भाग रहे है, जिद्द वॉ ना समझी के के कारण हम ...