मुस्लिमों की नाराजगी और इनका निराकरण
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुश्री नूपुर शर्मा द्वारा गत 27 मई 2022 को पैगम्बर मोहम्मद और इस्लाम के बारे में की गयी टिप्पणी को लेकर भारत और इस्लामी देशों में कोहराम मचा हुआ है, भाजपा ने तो अपने पदाधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही कर दीं है इसके वावजूद मुस्लिम संगठन असंतुष्ट है l भारतीय संविधान हर ब्यक्ति को बोलने का अधिकार देता है l शिवलिंग के बारे में बेअदबी के प्रतिक्रिया स्वरुप अगर सुश्री शर्मा ने अपनी टिप्पणी की है तो कोई गलत नहीं है अब तो नूपुर ने लिखित क्षमा भी मांग ली है, इसके वावजूद मुस्लिम संघटनों और बाहरी देशों ने कभी ये नहीं सोचा की ये टिप्पणी कहाँ, किन परिस्तिथि और कैसे की गयी, शायद नहीं l ऐसे में क्या मुस्लिम समुदाय ने तथ्यों पर विचार किया ? अगर करता तो इतना गुस्सा नहीं आता l
यहाँ ये कहना उचित होगा की मीडिया हाउस भी इस घटना के लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना नूपुर एवं विपक्षी दलों के प्रवक्ता और मुस्लिम स्कॉलर l हमारे चैनलों पर हर बहस में बेलगाम प्रवक्ताओं को बिठा दिया जाता है, जिसके कारण आपसी सौहार्द दिन प्रतिदिन ख़राब हो रहा है l इस सामयिक घटना पर जितना हो हल्ला मचा हुआ है, क्या कभी मुस्लिम स्कॉलर, मौलबी और तथाकथित मुस्लिम नेताओं के ऊपर हिन्दू बाहुल्य देश भारत में मरने मारने, सर कलम करने की धमकी और इस महिला को रेप जैसी खुलेयं धमकी क्या भारत जैसे देश में होना चाहिए ? क्या हिन्दू समाज ने एम. एफ. हुसैन के द्वारा माता की नंगी पेंटिंग, राम और माता सीता को भाई बहन बताना, बीर हनुमान जैसे अराध्य के बारे में कांगियों और वामपंथीयों की संयुक्त साजिश के तहत दुष्प्रचार, हिन्दू समाज को ये कहना की ये लिंग की पूजा करते है, और मिया मुलायम का ये कहना की "लड़के है इनसे गलती हो जाती है " कहाँ तक उचित है क्या भारत के मुसलमानों को खेद नहीं ब्यक्त करना चाहिए ???? नहीं ये तो औरंगजेब और बाबर के वंशज है ऐसा क्यों करेंगे?? जबकि इतिहास पढ़े तो इनके भी पूर्वज हिन्दू ही थे l
सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने के लिए सभी समुदायों को एक दूसरे के धर्म को बराबर आदर करना चाहिए, क्योंकि हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है जहाँ सभी धर्मो को एक ही दर्जा हासिल है l
देश के चैनल पर हिन्दू मुस्लिम मुद्दों पर बहस रोक देनी चाहिए जिससे सर्व धर्म संभाव की भावना प्रत्येक देशवासियों में जगाया जा सके l
यहाँ एक बात अवश्य कहना उचित होगा की ऐसे देश जो इस ज्वलंत मुद्दे पर बढ़ चढ़ कर बयान बाजी कर रहे है, उनके देश में अलसंख्यको के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है l जो लोग धर्म के नाम पर हमारे बीच गहरी खाई खोदने में लागे हुए है धार्मिक काम राजनितिक ज्यादा होते है, अतः हमें इनके बातो में कभी नहीं आना चाहिए, देश में ज्यादातर मसले जो धर्म से जुड़े हुए है उन्हें आपसी बातचीत से या न्यायालय से समाधान निकाल कर देश को तरक्की के रह पर अग्रसर करने में सरकार की मदद करनी चाहिए l
जहाँ तक मुल्लों और हिन्दू संगठनों में सबसे बड़े अनुनायीं बनने की होड़ लगी हुई है उन्हें करारा जबाब मिलेगा l पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे राष्ट्र जो बर्बादी के कगार पर है लगभग सभी हिन्दू देवस्थानों को थोड़ दिया, तालिबानियों ने बमियान में सभी बौद्ध मंदिरों के मूर्तियों को तोड़ डाला क्या वे पैगम्बर के सच्चे अनुनायीं सिद्ध हुए ???? कितने इस्लामीक देश ने इसकी भत्सना की ? ऐसे में भाई चारा तभी आगाढ़ होंगी जब हम भाई चारा निभाए और गलत को गलत और सही को सही रूप से विवेचना करें l
🙏🙏solomon0766🙏🙏
ये एक सामयिक लेख है, आशा है आप सबका आशीर्वाद मिलेगा 🙏
ReplyDeleteजिस तरह हम सब गंगा यमुनी तहजीब की बात बचपन से सुनते आ रहे है, दूरियों को आपसी सदभाव से कम किया जा सकता है, who will bell the cat ????
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