करगिल दिवस पर -शहीदों की याद ------------------------------------------- भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था । थर थर कांपी मेरी छाती जब योद्धा आंगन उतरा था ।। इस भीषण युद्ध विभीषिका में हमने भी लाल गवाए हैं , कुछ ऐसे वीर बाँकुरे थे जो कांधे पर घर आये हैं , आँगन में अर्थी रखी देख दो शब्द गगन में डोल रहे , बिटिया तुतला कर पूंछ रही मेले पापा क्यों नां बोल लहे , बच्ची की करुण पुकारों से टूटा नभ से इक तारा था । भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।1 माँ अपनी छाती पीट पीट सर मार रही थी धरती पर , पत्नी भी होश गवा बैठी गिर पड़ी कंत की अर्थी पर , बापू धीरे से सुबक रहे अब राजू मेरा रूठ गया , भाई फफक फफक रोता अब बाजू मेरा टूट गया , नदी भाँती बिलख रही विधवा का छूटा एक किनारा था। भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।2 चूड़ी टूटी बिछुए उतरे सिंदूर भाल का पिघल गया , पायल टूटी कंगने उतरे गल मंगल बंधन निकल गया , कोने में बहना बिलख रही रक्षा का बंधन टूट गया , चाची तायी बूआ रोयीं क्यों कुल का नंदन रुठ गया , रोये बचपन के सब साथी क्या यार ...
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