नैतिक शिक्षा व रिश्तों की अहमियत

आज समाज में इतनी तेजी से बदलाव हो रहा हैं जिसको शब्दो में बयां करना बहुत ही मुश्किल हैं l अपने प्रथम पीढ़ी को उनके एहसास व नैतिक जिम्मेदारी तथा साथ ही नाते रिश्ते की कोई अहमियत नहीं है जिसके कारण इनके समक्ष ऐसी बातें मात्र एक ढकोसला के अलावा कुछ नहीं हैं ये समझाने पर नहीं समझना चाहते, यही वजह हैं की इन रिस्तो की अहमियत ना के बराबर होता जा रहा हैं l ना ये किसी रिश्ते को मानते हैं और नाही इन्हे इसका एहसास दिलाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं, इन्हे जिस रूप में इनकी पढ़ाई लिखाई, इनका खाना - पीना, इनका रहन - सहन के लिए उचित ब्यवस्था,अगर माँ बाप कर लेते हैं तो ठीक हैं अन्यथा इन्हे ना तो रिश्ते कैसे बनाते हैं के बारे में पता हैं और ना ही इसे निभा पाएंगे, पैदा किये हैं तो इन्हे ढोना पड़ेगा l जिस - दिन आप अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश करेंगे, ये थप्पड़ मारने और गली गलौज पर उतारू हो जाते हैं l आप क्या इनको घर से निकालेंगे????उससे पहले ये आप को घर से भगा देंगे l ऐसे किस्से रोज समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर देखने और पढ़ने को मील जाता हैं l मेरे समझ से विशेष रूप से लड़कों को अपने सामर्थ्य अनुसार पढाने लिखाने के बाद, हम सब के पेरेंट्स ने हमारे साथ जैसा किया और समझाया हमें कोई गिला शिकवा नहीं हैं जाओ अब अपनी जिम्मेदारी 18 के हो गए हो खुद उठाओ, माया मोह में पेरेंट्स अपनी इक्षाओं को ताक पर रखकर इनका ध्यान रखते हैं और उम्मीद रखते हैं की हमारा पुत्र भी कुछ ऐसे ही मेरा ख्याल रखेगा, इसी उम्मीद में अपनी सारी जमा पूंजी इन्हे एक अच्छा इंसान बनाने में गवां देतें हैं फिर दर दर की ठोकरें खातें हैं l
            अब समय आ गया हैं की हम बुजुर्ग भी ऐसा ही सोचे, 18 का होते ही इन्हे भी अपने दिल पर पत्थर रखकर,ये एहसास दिला दे की तुम अब अपनी जिम्मेदारी खुद उठाओ,नही तो हमारे घर में तुम्हारे लिए अब कोई जगह नही हैं l दो टूक जबाब देना ही पड़ेगा l
             अपने बूढ़े मां बाप के साथ 99% युआ पीढ़ी ऐसा ही कर रही हैं, जो हमें देखने और सुनने को मिलता हैं, 1% बच्चे भी क्या गारंटी हैं की बाद में ये हमारे साथ क्या करेंगे l
               हम बुजुर्गो को इस खुले दिमाग़ से सोचना पड़ेगा l कुछ माँ की भी गलतियां हैं जो उन्हें एहसास दिलाती रहती हैं की जो कुछ आज तुम हो हमारी वजह से हो ? तुम्हारे बाप ने किया ही क्या हैं ! मात्र पैसे कमाया और सारा कुछ तो मैंने किया l यही कारण हैं की बच्चे अपने पिता से कटे रहते हैं, नौकरी पेसे के बाद कुछ समय बच जाता हैं तो अपने लिए इनके इजाजत के बगैर कुछ नही कर सकता, अगर कुछ तफरी अपने दोस्तों के साथ करता हैं तो उसे एक बंदुआ मजदूर से ज्यादा ये कुछ नही समझते,आप में से कई लोग हमारे विचारों से हो सकता हैं सहमत ना हो ll लेकिन ये सर्वथा सत्य हैं l 
निम्न मध्यबर्गीय परिवारों में वर्तमान में कुछ सामंजश्य हैं, लेकिन उच्च मध्यवर्गीय परिवारों में तो अब आपसी सामंजश्य देखने को मिलता ही नही l पैसे वाले लोगो के परिवारों में ऐसा देखने को मिलता हैं,बच्चों की हर जरुरत बिना मांगे ही पूरा कर दिया जाता हैं ऐसा नही की ये लोग ज्यादा सुखी हैं,यहाँ तो बच्चे इन्हे स्वार्थ परता में ओल्ड एज होम में भेजनें से परहेज नहीं करते l ये हर जगह हो रहा हैं, विश्वास ना हो तो ऐसी जगहों पर एक बार अवश्य जाएँ l हमें ऐसा लगता हैं आज की पीढ़ी दिल से नहीं दिमाग़ से सोचती हैं और हम, समाज क्या कहेगा के कारण दिल से सोचते हैं l अब हमें भी ऐसा सोचना पड़ेगा अन्यथा जवानी भाग दौड़ में चली गयी बुढ़ापा भी ओल्ड एज होम में गुजरेगा l हमें भी एक कुशल प्रोफेशनल की तरह ही सोचना और उस पर अमल करना पड़ेगा, मैं तो अपना स्वाभिमान ताक पर रख कर नहीं जी सकता, ऐसी विपदा के बजाय अभी से अपना कारवां अलग कर लेना चाहिए, जिससे बाद में होने वाले दुखों से बचा जा सकता हैं l
       कई पेरेंट्स बड़े खुश होते हैं की मेरा लड़का विदेश में उसकी इतनी कमाई हैं लेकिन आप कभी सोचा की वो,आप के लिए क्या करता हैं, उसने तो अपना घोंसला ऐसी जगह बना लिया हैं जो हमारे पहुँच से काफ़ी दूर हैं l उसी के अनुसार साथ वली पीढ़ी भी चलने का प्रयास करती हैं l चाहे कुछ भी हैं उसे भी उसी रास्ते पर चलना हैं जहाँ माता पिता और उनका रास्ता नहीं मिलता l मै कल ही एक लेख पढ़ रहा था जिसमे एक सेना के रिटायर्ड कर्नल साहेब के दुःखद अंत की कहानी थी, उनके दो बेटे दोनों अमेरिका में जॉब करते हैं, कर्नल की पत्नि की तबियत ख़राब हो जाती हैं, बार 2 बातें करने के बाद की तुम दोनों अंतिम बार अपनी माँ से मील लो वो तुम्हे याद कर रही हैं, वो नहीं आते, जब उन्हें पता लगता हैं माँ अब नहीं रही, तो कई मिन्नतों के बाद छोटा घर लखनऊ आता हैं, पिता के पूछने पर बड़ा कहाँ हैं जबाब मिलता हैं भाई ने कहा हैं माँ के मरने पर तुम चले जाओ, पिताजी के समय मैं चला जाऊंगा !!!!
जैसे ही कर्नल को ये बात पता चलती हैं घर के अंदर जाते हैं और पिस्टल से अपने आप को सूट कर आत्महत्या कर लेते हैं l इसे आप क्या कहेगे इसी दिन के लिए उन्हें पढ़ा लिखा कर अमेरिका भेजा था ???
बेचारे  दोनों की मैयत एक साथ निकलती हैं क्या नैतिकता व अच्छे रिश्ते व इसके मान सम्मान  ऐसे होते हैं  ????? इस उच्च शिक्षा को क्या कहेँगे, क्या उनके बच्चों को इतना भी नहीं मालूम की कब क्या बोलते हैं, ये रिस्ता नाता आज इस कलयुग में कोई अहमियत नहीं रखता अगर कुछ रखता हैं तो "constration on self aur professionalism in relationship " के अलावा कुछ नहीं तो आज पेरेंट्स ही क्यों  वलिदान दें, इस पर अवश्य सोंचे व वक़्त रहते अपने भविष्य के बारे में सोंचे ll.......... ीी..........#
🙏♥ Baliati00766🌹 🙏

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