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parental duty

To all parents...... There was a very brilliant boy, he always scored 100% in Science. Got Selected for IIT Madras and scored excellent in IIT. Went to the University of California for MBA. Got a high paying job in America and settled there. Married a Beautiful Tamil Girl. Bought a 5 room big house and luxury cars. He had everything that make him successful but a few years ago he committed suicide after shooting his wife and children. *WHAT WENT WRONG?* California Institute of Clinical Psychology Studied his case and found *“what went wrong?”* The researcher met the boy's friends and family and found that he lost his job due to America’s economic crisis and he had to sit without a job for a long time.  After even reducing his previous salary amount, he didn't get any job.  Then his house installment broke and he and his family lost the home.  They survived a few months with less money and then he and his wife together decided to commit suicide.  He first shot his wife and child

माँ का पल्लू

*गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो..*  *तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा.....*      *"पूरा पढ़ियेगा आपके दिल को छू जाएगा"* 🥰        आदरणीय गुरुजी जी...     माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी  छवि प्रदान करने के लिए था.  इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को   चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को        पकड़ने के काम भी आता था.         पल्लू की बात ही निराली थी.            पल्लू पर तो बहुत कुछ               लिखा जा सकता है.  पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने,     गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी            इस्तेमाल किया जाता था.    माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए            तौलिया के रूप में भी            इस्तेमाल कर लेती थी.          खाना खाने के बाद       पल्लू से  मुँह साफ करने का        अपना ही आनंद होता था.       कभी आँख में दर्द होने पर ... माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर,        फूँक मारकर, गरम करके          आँख में लगा देतीं थी,    दर्द उसी समय गायब हो जाता था. माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए     उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू         चादर का काम करता थ

भोजपुरिया बात

गज़ल—————— मुँह पे  मावुर रखला में शान का बाटे ? हँस देला में आख़िर नुक़सान का बाटे ? जवन होखे के बा उ त होखबे करीं , चिरई नियन पिंजरा में प्राण का बाटे ? जे आपन होइ लौट के आयी ज़रूर, बोलावे के सरकारी फ़रमान का बाटे ? नेह छोह बनल रहो अऊरी का चाहीं, ये जिनगी के सिरहांन-पैतान का बाटे ? प्रेम-स्नेह अपनापन हर धर्म के सार ह, प्रेम के आगे आरती आजान का बाटे ? घर के आँगन में कौनो देवाल ना उठे,  माई-बाबू जी से ऊँचा स्थान का बाटे ? “शयाम” दुरुस्त बा ईमान त ठीक बा सब, किरिया खाये के गीता क़ुरान का बाटे ?

परवरिश का बदलता स्वरुप

कृपया 5 मिनट का समय दे और इस लेख को पढ़े मन को बड़ा बल मिलेगा हृदय को सुकून लगेगा। आज मैं आप सब के समक्ष पिछले 60 वर्ष के परिवर्तन के दौर का एक दर्पण प्रस्तुत कर रहा हूँ। आज लोगो को सन्तान पालना एक बहुत मुश्किल काम हो गया है बच्चों को किन सिद्धांतों से पाला जाए यह मुश्किल विषय है। दौरों का परिवर्तन इस प्रकार हुआ। 1💐,60 वर्ष पहले बच्चे Instruction Base Theory अर्थात आदेश आधारित सिद्धांत था :- इस समय घर के बुजुर्ग दादा दादी पिता या बड़ा भाई जो घर का मुखिया होता था उसके आदेशो पर बच्चों को चलना होता था और बच्चे उनके आदेशो पर संस्कार व्यवहार सीखते थे बात मानते थे। इस समय कोई तर्क नहीन ही कोई चांस नही की आदेश का पालन न हो। 2,💐दूसरा दौर आया Discussion Base Theory अर्थात विचार विमर्श का सिद्धांत :- अब इस दौर में माता पिता के आदेशों पर विचार विमर्श होने लगा और कहा गया पापा आपकी बात समझ नही आ रही है पर चलिए ठीक है। बातें मानी गई पर धीमी गति से चर्चाओं से। 3,💐 अब आया तीसरा दौर Debate Base Theory अर्थात तर्क वितर्क पर आधारित सिद्धांत :- अब माता पिता जो बात कहते बच्चे तर्क करने लगे नही पापा यह गल

रुदन गाथा

रुदन गाथा... लंका में रावण युग का अंत हो चुका था। सारे राक्षस मारे जा चुके थे। नगर के अंदर राक्षसियां विलाप कर रही थीं, और बाहर युद्धक्षेत्र में सियार। हर ओर हुई हुई हुई हुई की ध्वनि पसरी हुई थी। पर जीवन तो नहीं रुकता न? विभीषण जी का राज्याभिषेक हुआ और उन्होंने व्यवस्था सम्भाल ली। लंका के धार्मिक जन ने अत्याचारी शासन के अंत और धर्म की स्थापना पर प्रसन्नता जताई और उत्सव मनाने लगे। इस तरह राक्षसियों का विलाप मंद पड़ गया।      अगले दिन राक्षसियों और सियारों का एक प्रतिनिधिमंडल महाराज विभीषण के पास गया, जिसकी अध्यक्षता सुपनेखिया की फुफेरी बहन कर रही थी। युद्ध के दिनों में पलंग के नीचे छिप कर जान बचा लेने वाले कुछ राक्षस भी उनके साथ थे। कुछ कुंभकर्ण आदि राक्षसों के यहाँ चीलम भरने वाले नौकर चाकर भी थे। उन्होंने प्रार्थना पूर्वक कहा- हे महाराज, हमने अपने प्रियजनों को खोया है। हम विलाप करना चाहते हैं। हमारा रोंआ रोंआ रो रहा है, पर आपके सैनिकों के भय से हम रो नहीं पा रहे हैं। हमें रोने की इजाजत मिले।      विभीषण दयालु व्यक्ति थे, उन्हें इन राक्षसियों पर दया आ गयी। उन्होंने कहा, "हे डंकिनी,

" भूकंप की त्रासदी एक संस्मरण "

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26 जनवरी 2001 को देश अपना 52 वॉ गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा  था . इसी दिन सुबह करीब 8 बजकर 45 मिनट पर गुजरात के कच्छ जिले के  भुज  मे भीषण  भूकंप   आया था , जिसमें करीब 20 हजार लोगों की जान चली गई  और हजारों लोग घायल हुए थे. भूकंप  के झटके अहमदाबाद और अन्य शहरों में भी महसूस किए गए थे l धरतीकंप का केंद्र भुज और गांधीधाम के बीच बसें एक कशबे अंजार मे था जहाँ भूकंप के दौरान सैकड़ो स्कूली बच्चे, टीचर आम नागरिक गणतंत्र दिवस क़ी रैली निकालते समय अंजार के गलियों और सड़को पर दोनों तरफ क़ी दीवार गिरने के कारण बिच मे दब गए और अपनी सहादत दे दी l भूकंप ने अंजार को खंडहर बना दिया था, सबसे ज्यादा नुकसान यही पर हुआ था l मुझे अच्छी तरह याद है , वो दिन ! मैं भुज छावनी में पोस्टेड था, ऑप्रेशन के लिए सेनायें सीमा पर डिम्प्लायड थी, 25 जनवरी को रात में इस तरह का आदेश मिला की कभी भी पाक एयरफोर्स के फाइटर हमारे क्षेत्र में आक्रमण कर सकते है l रात का खाना खाने के बाद हम जल्दी सो गए क्योंकि सुबह 9 बजे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड हमेशा की भांति देखना था ll सुबह जल्दी उठकर बड़े बच्चे को 0730 बजे स्कूल छो

शहीदों की याद " करगिल दिवस पर "

करगिल दिवस पर -शहीदों की याद  ------------------------------------------- भारत ने जीता युद्ध  मगर कुछ बेटों  को भी हारा था । थर थर कांपी मेरी छाती जब योद्धा आंगन उतरा था ।। इस भीषण युद्ध विभीषिका में हमने भी लाल गवाए हैं , कुछ ऐसे वीर बाँकुरे थे जो कांधे पर घर आये हैं , आँगन में अर्थी रखी देख दो शब्द गगन में डोल रहे , बिटिया तुतला कर पूंछ रही मेले पापा क्यों नां बोल लहे , बच्ची की करुण पुकारों से टूटा नभ से इक तारा था । भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ बेटों को भी हारा था ।।1 माँ अपनी छाती पीट पीट सर मार रही थी धरती पर , पत्नी भी होश गवा बैठी गिर पड़ी कंत की अर्थी पर , बापू धीरे से सुबक रहे अब राजू मेरा रूठ गया , भाई फफक फफक रोता अब बाजू मेरा टूट गया , नदी भाँती बिलख रही विधवा का छूटा एक किनारा था। भारत ने जीता युद्ध मगर कुछ  बेटों को भी हारा था ।।2 चूड़ी टूटी बिछुए उतरे सिंदूर भाल का  पिघल गया , पायल टूटी कंगने उतरे गल मंगल बंधन निकल गया , कोने में बहना बिलख रही रक्षा का बंधन टूट गया , चाची तायी बूआ रोयीं क्यों  कुल का नंदन रुठ गया , रोये बचपन के सब साथी क्या यार हमारा प्यारा था । भारत ने जीत